यह
एक पारिवारिक बिजनेस है | आप नहीं चाहते कि कोई शराब पीकर आपके घर आये और आपके
परिवार से बात करे | यह बिजनेस पाक-साफ़ है, इसमे शरब को शामिल करने का सवाल ही
पैदा नहीं होता | शराब बिजनेस के लिए घातक है | आधुनिक सांस्कृति में शराब
पीना-पिलाना एक फ़ेशन हो चला है | अगर अप शराब पिने को बुरा नहीं समझते है, तो यह
आप का व्यक्तिगत मामला है | सिस्टम में शराब पीकर बिजनेस के
सिलसिले में किसी के घर जाना सख्त मना है | अगर अप बिजनेस की बात करते है, तो शराब
से दूर रहिये | खासकर बिजनेस की चर्चा तक से दूर रहिये | अगर शराब पीते समय कोई बिजनेस की चर्चा करे, तो उसे स्पष्ट करिए,
“मै ऐसे समय में इस महान बिजनेस पर चर्चा नहीं करुगा |” या जैसा आप कह सकते हो |
वरना बिजनेस शराब में घोलकर गटक लिया जायेगा और आप सफलता को ढूंढते रह जाएगे | ऐसी
बहुत सी घटनाये हो चुकी है, जहा शराब के कारण ऐसे बिजनेस में हानि हुई है | शराब
पिने वाला खुद के बिजनेस को तो खराब करता ही है, लेकिन दुसरो के बिजनेस को भी खराब
करता है |
सोचिये एक बिजनेस
मीटिंग के दौरान कोई शराब पीकर बैठा है, और माना की वो पुरे होश में है, कोई ग़लत
हरकत नहीं कर रहा है | लेकिन उसके पास वाली सिट पर कोई संभ्रांत व्यक्ति बैठे है,
जिनके शराब पीने को ग़लत समझा जाता है, उन्हें शराब से चिढ़ है | उन्हें उनकी पत्नी
बड़ीं मिन्नते करके वह ले आई है | उन्हें बताया गया है की यह का माहौल पाक-सफं रहता
है | अगर उन्हें पता चल गया कि पास बैठे व्यक्तीने शराब पि राखी है, तो वो संभ्रात
व्यक्ति फिर कभी अपनी पत्नी को ऐसी मीटिंग में जाने की इजाजत नहीं देंगे | हमें
अधिकार नहीं है की हम किसी के बेज्नेस को ख़त्म करने वाली कोई हरकत करे | इसलिए
सिस्टम ने यह नियम बनाया है | अगर शराब को आपके ससमाज में या महौले मे बुरा नहीं
मन जाता, तब भी अपनी किसी डाउन लाइन या क्रॉस लाइन के साथ शराब न पिए | हो सकता है
बिजनेस में शामिल व्यक्ति आप के पुराने मित्र हो | आप उसके बिजनेस में आने के बाद
आप उनके साथ संयत व्यवहार रखें | आपको ‘मित्रता’ या ‘बिजनेस’ में से किसी एक को
चुनना पड़े तो अप को अपनी प्राथमिकता अनुसार चुनाव् करना पड़ेंगा | आप जिसको चुनाव
करेंगे, वहाँ सफलता मिलेंगी | या तो मित्रता में, या फिर बिजनेस में | लेकिन शराब
को छोड़कर आप दोनों प् सकते है |
सिस्टम दर्शन
सिस्टम में शराब या नशाखोरी वर्जित है | सिस्टम को अनुशाशन
प्रिय है | जी लोग अपने ऊपर नियंत्रण नहीं रख सकते है | दुसरो की भावनाओ को ठेस
पंहुचा सकते है | इसका विपरीत परिणाम बिजनेस पर पड़ता है | सिस्टम का मनना है की
शराब या अन्य मादक पदार्थ कुछ समय के लिए उत्साह और उत्तेजना पैदा करते है, लेकिन
अनियंत्रित होने के कारण यह अति-उत्साह और अति-उत्तेजना की स्थिति में पहुच जाता
है, जो की हानि करक है |
हो सकता है आप शराब को
बुरी चीज न समझते हों, लेकिन दुसरे लोग इसे बुरा समझ सकते है | यहा सबको अपने
विचारों को बनाए रखिए की आझादी है | आप बिजनेस के वातावरण को पवित्र बनाए रखिये |
आपको आझादी है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं की आपकी आझादी या अधिकारों को ठेस पहुँचे
| यह एक दुसरो की भावना को सम्मान दिया जाता है | शराब पीकर समारोह में आना मना
है, किसीके साथ बिजनेस की चर्चा करना मना है, इसीलिए क्योंकि इससे इस बिजनेस की
छवि ख़राब होती है | पारंपरिक और नेटवर्क मार्केटिंग बिजनेस में यही अंतर है, यह
संस्कारो का बिजनेस है | सिस्टम इन नियमो के माध्यम में हामें अच्छे संस्कार देता
है |
मनोविज्ञान
शराब या अन्य मादक पदार्थो के कारण हमारा नियंत्रण
हमारी भावनाओ पर नहीं रहा जाता | हम अनियंत्रित होकर बहुत कुछ एसा कह देते है, या
कर देते है, जो हमारी पूरी टीम के बिजनेस के लिए हानिकारक हो सकता है | शराब के
नशे में हम ऐसे ग़लत कम कर सकते है, जो होश में शायद हम कभी नहीं करते | ऐसे में
दोष शराब का नहीं, पानी वालो का है | शराब हमारी चेतनता को कमजोर कर देती है, ऐसे
में शक्तिशाली अवचेतन मन कार्य करता है | आब अवचेतन मस्तिष्क अकेला सही-ग़लत का
निर्णय नहीं ले सकता | अवचेतन मन तो अपने भंडार में साभी अच्छी-बुरी बातों का,
ज्यों का त्यों ब्यौरा रखता है, और चेतन मन के हटते ही ज्यों का त्यों आदेश देता
है | सही-ग़लत से उसे मतलब नहीं | अब ऐसे में हम अपने अवचेतन मन में बैठी
बातों-हरकतों को दोहरा देते है, जो की ग़लत भी हो सकती है | ऐसे में हम किसीका भी
दिल दुखा सकते है, अनैतिक कार्य कर सकते है, जो हमारा सफलता को पूरी तरह नष्ट कर
देंगे | वैसे भी शराब पीना अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता | इसलिए हर व्यक्ति के
अवचेतन में शराब पीकर कम करेंगा, सामने वाले के दिमांग में इस बिजनेस की भी ग़लत
छवि बनेगी | इस बात को सिस्टम में गहराई से समझा गया है, इसलिए यह नियम अस्तित्व
में आया है |
सिस्टम की बोध कथाएँ.....
गंगा
में स्नान करते साधू को अचानक लहरों के साथ संघर्स करता एक बिच्छु दिखाई दिया |
दयावश साधू ने बिच्छु की जन बचाने के लिए उसे हवेली पर उठा लिया, लेकिन बिच्छु ने
हथेली पर डंक मर दिया | डंक लगते ही साधू काँप गया और हथेली से चिथककर बिच्छु वापस
पानी में जा गिरा | साधू ने फिर बिच्छु को उठाया, बिच्छु ने फिर डंक मारा | कई बार
ऐसा होते देखे, पास खड़े एक सज्जन से रहा नहीं गया |
“ साधू महाराज,” उसने कहा, “जब बार-बार डंक मर रहा है, तो उसे छोड़ क्यों नहीं
देते ? ऐसो का मरना ही बेहतर है |”
“नहीं बीटा, मैं ऐसा कैसे कर दूँ ?” साधू ने सादगी से जवाब दिया, “ जब ये छोटा
सा बिच्छु होकर भी बुराई के आपने स्वभाव को नहीं छोड़ रहा, तो मै इतना बड़ा इंसान
होकर भलाई करना कैसे छोड़ दूँ ?”
कथा सार
अगर कोई हमसे गलत व्यवहार कर रहा है तो हम उसकी बुराई के कारण अपनी भलाई क्यों
छोड़ दें | हमें हर बुराई से बचना चाहिए | अपने चरित्र में भलाई की भावना को इस तरह
से भर दे की वो आपका स्वभाव बन जाए |
0 Comments